सैनी ने किया पशुधन अनुसंधान केन्द्र का अवलोकन

बीकानेर। कृषि, पशुपालन, मत्सय व डेयरी मन्त्री प्रभुलाल सैनी ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के कोडमदेसर स्थित पशुधन अनुसंधान केन्द्र में चल रही देशी गौ नस्लों के संवद्र्धन कार्यों का अवलोकन किया। मन्त्री प्रभुलाल सैनी ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के कोडमदेसर स्थित पशुधन अनुसंधान केन्द्र का अवलोकन करके देशी गौ वंश और बकरियों की नस्ल सुधार और विविध कार्यों को उच्च कोटि का बताकर सराहना की।

प्रभुलाल सैनी जी के साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि, पशुपालन, मत्सय व डेयरी अषोक सम्पतराम, प्रमुख शासन सचिव गोपालन, प्रीतम सिंह भी साथ थे। कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने विश्वविद्यालय द्वारा कोडमदेसर में चल रही अनुसंधान परियोजनाओं की विस्तार से जानकारी प्रदान की।

राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत साहीवाल प्रजनन की नई परियोजना के कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए कुलपति प्रो. गहलोत ने बताया कि राज्य में पहली बार साहीवाल गौ नस्ल का संवद्र्धन कार्य कोडमदेसर में शुरू किया गया है।

इस परियोजना में 250 साहीवाल गायें और 10 प्रजनक सांडों का फार्म स्थापित किया जा रहा है। वर्तमान में यहां साहीवाल नस्ल की गाय से प्रथम ब्यात में 25 लीटर तथा कांकरेज नस्ल से 20 लीटर दूध प्रतिदिन का प्राप्त किया जा रहा है।

राज्य में पशु नस्ल संवद्र्धन कार्यों से दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किये जा सकेंगे। मंत्री महोदय प्रभुलाल सैनी ने साहीवाल नस्ल परियोजना, कांकरेज नस्ल परियोजना, हरा चारागाह व सेवण घास उत्पादन परियोजना की बारिकी से जानकारी प्राप्त की।

मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि थारपारकर, राठी, कांकरेज, गिर और साहीवाल नस्लों के उन्नयन की महत्वपूर्ण परियोजनाओं और भेड़-बकरियों पर अनुसंधान से राज्य के पशुपालकों की आर्थिक दशा में आमूलचूल परिवर्तन लाने के वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रयास सराहनीय है।

कुलपति ने मंत्री को बताया कि इस अनुसंधान केन्द्र पर राज्य में प्रथम बार ईजराइल तकनीक पर आधारित पर्यावरण के अनुकुल पशुओं के लिए आवासीय शैड का निर्माण करवाया जा रहा है ताकि पशुओ पर वातावरण की गर्मी का कम से कम प्रभाव पड़ सके।

मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कोडमदेसर में मारवाड़ी बकरियों, मगरा भेड़ों तथा कांकरेज नस्ल की गायों का अवलोकन कर उनकी दुग्ध क्षमता की जानकारी ली तथा कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गौवंश के संवद्र्धन कार्यों से राज्य में दुग्ध उत्पादन के लिए पशुपालकों को प्रेरित किया जा सकेगा।

कुलपति ने राज्य सरकार द्वारा कोडमदेसर स्थित पशुधन अनुसंधान केन्द्र को इन्दिरा गांधी नहर परियोजना से 4.04 क्यूसेक पानी दिए जाने की स्वीकृति जारी करने पर आभार व्यक्त किया। कुलपति प्रो. गहलोत ने बताया कि बताया कि चारागाह विकास और हरा चारा उत्पादन की परियोजना के लिए इस पानी का सदुपयोग बूंद-बंूद सिंचाई प्रणाली अपनाकर किया जाएगा तथा इस केन्द्र में जल की उपयोगिता के लिए 5 बड़ी डिग्गियां बनाकर फव्वारा सिंचाई से चारागाह और हरे चारे का उत्पादन किया जाएगा।

इस अवसर पर डा. बी.के. बेनीवाल, अधिष्ठाता एवं डा. विजय चौधरी, प्रभारी अधिकारी, पशुधन अनुसंधान केन्द्र भी उपस्थित थे।

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