यूक्रेन संकट पर भारत रूस के साथ

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने रूस-भारत-चीन की त्रिपक्षीय वार्ताओं में रखा पक्ष

बीजिंग, 2 Èरवरी (एजेंसी) । अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा की गूँज के बाद अब भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के अनुरूप यूक्रेन संकट पर अपने पुराने और भरोसेमंद दोस्त रूस का साथ दिया है।
भारत और चीन ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा है कि किसी भी देश के खिलाÈ एकतरÈा प्रतिबन्ध नहीं लगाये जाने चाहिए। साथ ही किसी देश में बाहरी ताकत की ओर से सत्ता परिवर्तन की कोशिश भी नहीं की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय हैकि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर यूक्रेन में विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगते हुए उसके खिलाÈ प्रतिबन्ध लगा रखे हैं। राष्ट्रपति ओबामा ने अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान प्रेस कांÈ्रेंस में रूस पर दबंगई करने और दूसरे देश में सैनिक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था। भारत की धरती से भारत के मित्र देश रूस के खिलाÈ बयानबाजी किये जाने को राजनयिक शिष्टाचार के खिलाÈ माना जाता है हालाँकि भारत ने इस सम्बन्ध में औपचारिक रूप से कोई विरोध व्यक्त नहीं किया था।
ओबामा की भारत यात्रा के तुरंत बाद विदेशमंत्री सुषमा स्वराज आजकल चीन यात्रा पर हैं जहाँ उन्होंने आज रूस-भारत-चीन की त्रिपक्षीय वार्ताओं में भाग लिया।
वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में तीनों देशों ने कहाकि यूक्रेन संकट का हल शांतिपूर्ण तरीके से वार्ता के जरिये किया जाना चाहिए। वक्तव्य में यूक्रेन में संघर्षरत विभिन्न पक्षों से संयम बरतने तथा संकट के हल के लिए मिन्स्क में हुए समझौते का पालन किये जाने पर जोर दिया है।
रूस के विदेशमंत्री सर्गे लावरोव ने यूक्रेन मुद्दे पर रूस का समर्थन करने के लिए भारत और रूस के प्रति आभार व्यक्त किया है। उल्लेखनीय हैकि रूस का आरोप हैकि अमेरिका और यूरोपीय देश प्रतबंधों के जरिये रूस की अर्थव्यवस्था तबाह करना चाहते है तथा वहां सत्ता परिवर्तन करने की साजिश रच रहे हैं।
तीनों देशों ने संयुक्त वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को शीग्र लागू किये जाने की वकालत की है। रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अधिक भूमिका का समर्थन किया है। साथ ही एशिया के महत्वपूर्ण संघटन शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता का भी समर्थन किया गया है।
विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की चीन यात्रा से भारत, रूस और चीन के त्रिपक्षीय संबंधों को नयी रफ़्तार मिली है तीनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर परस्पर तालमेल रखने का Èैसला किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सÈल भारत यात्रा के बाद हो रही इस यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राजनयिक औपचारिकताओं से ऊपर उठकर आज भारतीय विदेशमंत्री का विशाल ग्रेट हॉल ऑÈ़ पीपुल्स में स्वागत किया तथा द्विपक्षीय मामलों पर विचार विमर्श किया। आम तौर पर चीन के राष्ट्रपति यात्रा पर आये किसी देश के विदेशमंत्री से नहीं मिलते हैं, लेकिन भारत के संबंधों को महत्व देते हुए उन्होंने श्रीमती स्वराज को यह अवसर दिया।
राष्ट्रपति शी ने श्रीमती स्वराज से वार्ता के दौरान इस बात पर संतोष व्यक्त कियाकि दोनों देशों के सम्बन्ध एक नए ऊँचे स्तर पर पहुँच गए है तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहाहै।श्री शी ने अपनी पिछली भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वह प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदर्शित मेहमाननवाजी से बहुत अभिभूत हुए। उन्होंने श्री मोदी और उनकी वार्ता के दौरान तय हुए सहयोग के उपायों पर तेजी से अमल करने पर जोर दिया।
उल्लेखनीय हैकि श्री मोदी इस वर्ष मई महीने में यात्रा करने वाले हैं। श्रीमती स्वराज ने श्री मोदी की यात्रा के बारे में भी चीन के नेताओं से विचारविमर्श किया। एक महत्वपूर्ण विश्वास बहाली और सद्भावना उपाय के रूप में दोनों देशों ने कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए एक नए यात्रा मार्ग को खोलने की औपचारिकताएं पूरी कीं। सिक्किम में नाथूला दर्रे से सड़क मार्ग से कैलास मानसरोवर तक जाने वाले इस यात्रा मार्ग के इस वर्ष जून में चालू हो जाने की आशा है।
श्रीमती स्वराज ने आज बीजिंग में रूस के विदेशमंत्री सेर्गे लावरोव और चीन के विदेशमंत्री वांग यी के साथ त्रिपक्षीय वार्ताओं में भी भाग लिया। तीनों देशों ने आतंकवाद को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया तथा इस सम्बन्ध में एक अंतर्राष्ट्रीय कानून अविलम्ब बनाये जाने की वकालत की।

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