धर्म के आधार पर हिंसा बर्दाशत नहीं : प्रधानमंत्री

सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता हो 

नई दिल्ली, 17 Èरवरी (एजेंसी)। देश के विभिन्न हिस्सों में धर्म परिवर्तन और गिरजाघरों पर हाल में हुये हमलों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार किसी भी धामिक समूह को नÈरत Èैलाने की इजाजत नहीं देगी और किसी तरह की धार्मिक हिंसा के खिलाÈ सख्ती से कार्रवाई करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी धर्मो का समान रूप से सम्मान देती है। विपक्षी दलों और ईसाई समूहों ने प्रधानमंत्री पर पांच चर्चों और दिल्ली में एक ईसाई स्कूल पर हमले पर आंख मूंदने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता हो और यह कि किसी जोर जबर्दस्ती या अनुचित प्रभाव के बिना हर किसी को अपनी पसंद के धर्म पर कायम रहने या अपनाने का निर्विवाद अधिकार है।
मोदी ने यहां केरल के कुरियाकोस एलियास चावरा और मदर यूÈ्रेसिया को संत की उपाधि मिलने पर आयोजित एक राष्ट्रीय समारोह को संबोधित करते हुये कहा, मेरी सरकार अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समूह को दूसरों के खिलाÈ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से घृणा Èैलाने की इजाजत नहीं देगी। मेरी सरकार सभी धर्मो को समान सम्मान प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री ने कड़ी चेतावनी देते हुये कहा, हम किसी भी कारण किसी धर्म के खिलाÈ हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकते और मैं ऐस हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं। मेरी सरकार इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करेगी।
धर्म के आधार पर विश्व में भेदभाव और शत्रुता बढऩे तथा इस मुद्दे के वैश्विक चिंता का विषय बनने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सभी आस्थाओं के लिये आपसी सम्मान की प्राचीन भारतीय अवधारणा अब वैश्विक संवाद के रूप में विस्तार पा रही है।
उन्होंने कहा कि विश्व एक ऐसे चौराहे पर खड़ा है, जिसे यदि उचित तरीके से पार नहीं किया गया तो यह हमें धर्मांधता, उन्मादी कट्टरपंथ और रक्तपात के अंधे युग में वापस Èेंक सकता हैं। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि कि विश्व के तीसरी सहस्राब्दि में प्रवेश करने तक भी धर्मों के बीच इस समरसतापूर्ण सम्मिलन को हासिल नहीं किया जा सका है।
भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुये मोदी ने कहा कि सभी धर्मों के प्रति समान रूप से सम्मान की भावना प्रत्येक भारतीय के डीएनए में होनी चाहिये। समरसता की पैरवी करते हुये प्रधानमंत्री ने सभी धार्मिक समूहों से अपने प्रचीन राष्ट्र की उस सच्ची भावना के साथ संयम, आपसी सम्मान और सहिष्णुता के साथ काम करने को कहा जिसका जिक्र संविधान और हेग घोषणापत्र में किया गया है।

मोदी की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान के बाद आयी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में पिछले कुछ सालों में सभी धार्मिक आस्थाओं ने असहिष्णुता की जिन गतिविधियों का अनुभव किया है, वो महात्मा गांधी को स्तंभित कर देती।

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