अध्यादेश मामले पर राष्ट्रपति ने सरकार पर साधा निशाना

नई दिल्ली, 19 जनवरी (एजेंसी)। एक के बाद एक कई अध्यादेशों के सहारे कानून लाने वाली मोदी सरकार के रवैये पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उंगली उठा दी है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश लाना कानून बनाने का आसान तरीका है लेकिन इस पर चर्चा भी जरूरी है। कहा कि कानून सार्वजनिक नीति के संचालन के लिए मानक के आधार और वास्तुकला प्रदान करता है इसलिए इन पर उचित और व्यवस्थित चर्चा होना जरूरी है। अध्यादेश लाना कानून बनाने का एक आसान तरीका है लेकिन इसमें कई अहम मुद्दे छूट जाते हैं।
ऐसे में अगर संसद कानून बनाने में विÈल रहता है तो इससे लोगों का विश्वास भी टूटता है। वहीं उन्होंने लगातार संसद बाधित करने और कार्यवाही न चलने देने पर विपक्षी दलों पर भी उंगली उठाई।
उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि अध्यादेशों का मजबूरी में या आखिरी विकल्प के रूप में ही सीमित इस्तेमाल करना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में मोदी सरकार एक के बाद एक अध्यादेश के सहारे विभिन्न कानूनों में संसोधन कर चुकी है, जिसको लेकर विपक्ष उसकी लगातार आलोचना करता रहा है।
संसद की कार्यवाही रोकने पर विपक्ष को भी दी नसीहत: उन्होंने सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि संसद के अंदर सभी को मर्यादापूर्ण व्यव्हार करना चाहिए, जिससे एक उचित मिसाल कायम हो सके। राष्ट्रपति ने बकायदा शुरूआती तीन लोकसभा की कार्यवाहियों का उदाहरण देते हुए बताया कि इस दौरान 677, 581 और 578 दिन संसद की कार्यवाही चली थी। जबकि 13, 14 और 15वीं लोकसभा की कार्यवाही मात्र क्रमश: 356, 332 और 357 दिन ही चल सकी। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि मौजूदा 16वी लोकसभा में यह पंरपरा बदलेगी और स्थिति में सुधार आएगा।
उन्होंने बताया कि संसद की कार्यवाही बाधित होने से संसाधनों और जनता के धन का नुकसान होता है। विपक्ष को दायरे में रहकर आलोचना और विरोध के अधिकारों का इस्तेमाल करना चाहिए।

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